Not known Factual Statements About hanuman chalisa
Not known Factual Statements About hanuman chalisa
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[Saba=all; sukha=happiness, pleasures; Lahai=stay; tumhari=in your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be afraid]
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सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥ तुह्मरे भजन राम को पावै ।
श्री हनुमान चालीसा - जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
We believe that it doesn’t actually issue as long as your coronary heart is full of devotion, your thoughts is pure and you have managed good hygiene standards in the course of the period of chanting, reading through or reciting.
श्याम-श्याम भजि बारंबारा । सहज ही हो भवसागर पारा ॥ इन सम देव न दूजा कोई ।..
Some great benefits of chanting (looking at or reciting) Hanuman Chalisa traces is thought to bring in Shri Hanuman Ji’s grace – invoking his divine intervention to remove fear and resolve critical challenges in day to day, content and spiritual existence.
भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।
Putting the ring of Rama with your mouth, you jumped and flew over Ocean to Lanka, there isn't any surprise in that.
व्याख्या – श्री हनुमान जी अष्ट–सिद्धियों से सम्पन्न हैं। उनमें सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं अति विस्तीर्ण दोनों रूपों को धारण करने की विशेष क्षमता विद्यमान है। वे शिव (ब्रह्म) का अंश होने के कारण तथा अत्यन्त सूक्ष्म रूप धारण करने से अविज्ञेय भी हैं ‘सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयम्‘ साथ ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, दम्भ आदि भयावह एवं विकराल दुर्गुणों से युक्त लंका को विशेष पराक्रम एवं विकट रूप से ही भस्मसात् किया जाना सम्भव था। अतः श्री हनुमान जी ने दूसरी परिस्थिति में विराट् रूप धारण किया।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।
भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग read more की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।